Hanuman Ashtak Lyrics: संकट मोचन हनुमान चालीसा:
- संकट निवारण: संकट मोचन हनुमान अष्टक एक शक्तिशाली मंत्र है जो हनुमान की दिव्य गुणों को संक्षेपित करता है। इसे भक्ति भाव से जपने से व्यक्ति को जीवन में आने वाली बाधाओं, भय और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।
- शक्ति और भक्ति: हनुमान शक्ति, अटल भक्ति और निष्कल्प सेवा का प्रतीक है। अष्टक में हनुमान के योद्धाग्रीव और धर्म के प्रति उनकी अटल समर्पण को दर्शाया गया है। इसे जपने से भक्त उनकी सुरक्षा और साहस की प्राप्ति करते हैं।
- शिक्षा और सुख: हनुमान अष्टक का नियमित पाठ शिक्षा में सफलता और उच्च अध्ययन की प्राप्ति में मदद करता है। यह परिवार को मानसिक विश्राम, शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। यह मंत्र केवल जपकर्ता को ही नहीं, उनके प्रियजनों को भी लाभ पहुंचाता है।
- सकारात्मक परिणाम: इस मंत्र को नियमित जपने से विभिन्न प्रयासों में सफलता होती है। इसे न्याय मामलों, स्वास्थ्य सुधार, और सामान्य कल्याण में फायदेमंद माना गया है। अष्टक बाधाओं को हटाने में मदद करता है और सफलता के मार्ग को साफ करता है
Hanuman Ashtak Lyrics: श्री संकटमोचन हनुमानाष्टक
बाल समय रवि भक्षी लियो तब,तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को,यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करि बिनती तब,छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥को.॥
बालि की त्रास कपीस बसैं, गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,सो तुम दास के सोक निवारो ॥को.॥
अंगद के संग लेन गए सिय,खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,लाए सिया सुधि प्राण उबारो ॥को.॥
रावण त्रास दई सिय को सब,राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥को.॥
बाण लाग्यो उर लछिमन के तब,प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब,लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥को.॥
रावन जुध अजान कियो तब,नाग कि फाँस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु,बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥को.॥
बंधू समेत जबै अहिरावन,लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही,अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥को.॥
काज किये बड़ देवन के तुम,बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को,जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,जो कछु संकट होए हमारो ॥को.॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे,अरु धरि लाल लंगूर।
बज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर ॥
हनुमान अष्टक महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और भगवान हनुमान के भक्तों द्वारा पूज्य है।